नई दिल्ली, अगस्त 25 -- सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। याचिका में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें तीन वर्ष की अनिवार्य वकालत की शर्त के बिना की जा रही दीवानी जज की भर्ती पर रोक लगाई गई थी। न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति ए.एस. चंदुरकर की पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। हाईकोर्ट की ओर से पेश हुए अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे ने कहा कि पुनर्परीक्षा 'असंवैधानिक, अव्यावहारिक है और इससे मुकदमेबाजी की बाढ़ आ जाएगी। शीर्ष अदालत ने पहले हाईकोर्ट को दीवानी जज, कनिष्ठ श्रेणी (प्रवेश स्तर) परीक्षा 2022 के साक्षात्कार आयोजित करने और परिणाम घोषित करने की अनुमति दी थी। शीर्ष अदालत ने पिछले साल हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी थी जिसमें तीन साल की वकालत की अनिवार्य आवश्यकता के...