गिरडीह, जुलाई 23 -- पीरटांड़, प्रतिनिधि। जैन धर्म के चौबीस में से बीस तीर्थंकरों की निर्वाणभूमि सिद्धक्षेत्र सम्मेदशिखर में वर्षाकाल चातुर्मास को लेकर धार्मिक कार्यक्रमों की धूम मची है। साधनारत साधु संतों के सानिध्य में पूजा, आराधना व धर्म सभा का आयोजन हो रहा है। साधु संतों के पावन निश्रा में श्रावक श्राविका भक्तिभावना में लीन हैं। श्रद्धालु भक्तिभाव को आत्मसात करने में जुटे हैं। बताया जाता है कि जैन धर्म में साधु संत वर्षाकाल में एक जगह रहकर साधना-आराधना करते हैं। बरसात के मौसम में अनगिनत जीव जंतु की उत्पत्ति होती है। साधु संतों के विचरण के दौरान जीव जंतु की हत्या न हो इस लिहाज से लगातार चार महीने एक ही स्थान में रहकर धर्म-ध्यान करते हैं। ऐसे में जैन धर्म के चौबीस में से बीस तीर्थंकरों की निर्वाणभूमि पारसनाथ की धरती में वर्षाकाल चातुर्मास...