जमशेदपुर, जून 28 -- पहली मुहर्रम की मजलिस-ए-हुसैन का एहतेमाम हुसैनी मिशन साकची में शुक्रवार रात किया गया। इस मजलिस को मौलाना सादिक अली ने खिताब फरमाया। मजलिस से पहले इनाम अब्बास ने मर्सिया पढ़ा, जिसमें अहलेबैत की शहादतों और कर्बला की तसवीर पेश की गई। अपने संबोधन में मौलाना सादिक अली ने हज़रत अली अलैहिस्सलाम की मुहब्बत को नस्ल की पाकीज़गी से जोड़ते हुए कहा कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का गम सिर्फ उसी दिल में बसता है, जो दिल वाक़ई पाक हो। उन्होंने दुनिया की हालिया तब्दीली का जिक्र करते हुए कहा कि एक वेलायत-ए-फकीह ने जिस तरह से सुपर पावर मानी जाने वाली ताकत को झुकाया, वह अकीदे और सब्र की ताकत का सुबूत है। उन्होंने कर्बला से सबक लेते हुए कहा कि अगर किसी को नेक काम के बदले 70 सवाब चाहिए, तो उसे चाहिए कि वह मदद को छिपाकर करे। जरूरतमंद को बेहतरीन च...
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