नई दिल्ली, जुलाई 7 -- नई दिल्ली, अभिषेक झा/रोशन किशोर। चुनाव आयोग की ओर से मतदाता सूची में सुधार के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर राजनीति हो रही है। लाखों मतदाताओं के नाम सूची से हटने की आशंका ने एक नई बहस छेड़ दी है। इस विवाद से हटकर, अगर आयोग का यह अभियान सफल रहा, तो देश में महिला-पुरुष वोटिंग के बीच पिछले कुछ वर्षों में बना संतुलन बिगड़ सकता है। 1. पिछले एक दशक में तेजी से बदली तस्वीर एक वक्त था जब भारत में पुरुषों की वोटिंग दर महिलाओं से आठ से 10 फीसदी ज्यादा होती थी। ये फर्क 1984 से पहले और भी ज्यादा था। 2009 के आम चुनाव में ये अंतर आधा हो गया और 2014 में तो केवल 1.5 फीसदी का ही फर्क रह गया। 2019 और फिर 2024 में तो कई राज्यों में महिलाओं ने पुरुषों से भी ज्यादा संख्या में वोट डाले। 2. बदलाव कुछ ही राज्यों की बदौलत भारत और ...