पटना, जुलाई 9 -- बिहार लोक सेवा आयोग के पूर्व सदस्य और पटना विश्विद्यालय में अंग्रेजी के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. शिवजतन ठाकुर ने चिंता जताई है कि बिहार के करोड़ों गरीब मतदाता निर्धारित दस्तावेज के अभाव में मताधिकार के संवैधानिक अधिकार से वंचित हो जाएंगे। उन्होंने चुनाव आयोग से मांग की है कि संविधान और जनप्रतिनिधि अधिनियम के विरुद्ध दिया गया आदेश तुरंत रद्द करे। प्रो. ठाकुर ने कहा कि निर्वाचक सूची में शामिल होने के लिए हर नागरिक को 11 निर्धारित दस्तावेजों में से किसी एक दस्तावेज देना अनिवार्य किया गया है, जबकि निर्वाचक सूची में शामिल होने के लिए जनप्रतिनिधि अधिनियम में दस्तावेज संलग्न करने का प्रावधान नहीं है। इसके लिए सिर्फ दो शर्त ही निर्धारित हैं। एक तो 18 वर्ष से अधिक उम्र हो और दूसरा निर्वाचन क्षेत्र में लगातार कुछ दिनों से रहने वाला...