मुजफ्फरपुर, अक्टूबर 10 -- मुजफ्फरपुर, वरीय संवाददाता। बिहार में जब भी चुनाव आते हैं, युवाओं को चुनावी मैदान में उताने की चर्चा तेज होने लगती है। लेकिन, न तो राजनैतिक दल और न ही मतदाता इन युवाओं के नेतृत्व पर भरोसा करने को तैयार होते हैं। यही कारण है कि प्रदेश की सत्ता की बागडोर युवा हाथों में सौंपने को लेकर हिचक हर जगह दिखती है। खासकर 30 साल से कम उम्र के युवाओं पर बिहार के मतदाताओं का भरोसा काफी कम दिखता है। सूबे के मतदाता अनुभव पर अधिक भरोसा जताते हैं। बिहार में हुए पिछले दो विधानसभा चुनावों के आंकड़ों भी इस बात की पुष्टि करते हैं। इन चुनावों में 30 साल से कम उम्र के तीन हजार से अधिक युवा चुनावी रण में उतरे। लेकिन, सफलता दो प्रतिशत को भी नहीं मिल सकी। दो चुनावों के नतीजों को देखें तो 2015 में 1411 युवा उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई, ...