अलीगढ़, जुलाई 7 -- अलीगढ़, कार्यालय संवाददाता। अमन और इंसाफ कायम रखने के लिए कर्बला को याद रखना जरूरी है। याद करो उस मंजर को जो उन पर बीता था। एक के बाद एक 72 लोगों को शहीद कर दिया। बैत-उल-सलात में इन शब्दों को सुन अजादारों में गम और गुस्सा जाहिर हुआ। इसके बाद हुसैन की याद में सीना जनी करते हुए सभी शमशाद मार्केट पहुंचे। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के बैत-उल-सलात में यौमे आशूरा पर विशेष प्रार्थना हुई। मजलिस के दौरान मौलाना अशरफ अली अरबी ने कर्बला के वाकया को बयां किया। अजादारों को बताया कि किस तरह से कर्बला के मैदान में इमाम हुसैन ने यजीद की सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी। यजीद एक अत्याचारी शासक था और इमाम हुसैन ने उसके अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई। 72 साथियों के साथ इमाम हुसैन ने भूखे-प्यासे रहकर भी अपने सिद्धांतों पर डटे रहे। उन्होंने जुल्म के आगे...