पूर्णिया, दिसम्बर 20 -- जलालगढ़, एक संवाददाता।कोसी-सीमांचल की पहचान बन चुका मखाना अब खेत और तालाब से निकलकर प्रयोगशाला और राष्ट्रीय मंच तक पहुंचने की तैयारी में है। एक ओर जलालगढ़ में किसान वैज्ञानिक तकनीक सीखकर मखाना को अपनी आमदनी का मजबूत आधार बना रहे हैं, तो दूसरी ओर पूर्णिया के भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय में वैज्ञानिक मखाना अनुसंधान को नई दिशा देने में जुटे हैं। किसान और वैज्ञानिक, दोनों स्तर पर शुरू हुई यह पहल बताती है कि मखाना अब परंपरागत फसल नहीं, बल्कि सीमांचल के आर्थिक भविष्य की मजबूत नींव बनता जा रहा है। कोसी-सीमांचल की पहचान बन चुका मखाना अब सिर्फ खेती तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि शोध और नवाचार का राष्ट्रीय मॉडल बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। इसी लक्ष्य के साथ भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय,पूर्णिया में बुधवार ...
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