मुजफ्फर नगर, नवम्बर 21 -- शुकतीर्थ स्थित प्रसिद्ध दण्डी आश्रम में ब्रह्मलीन स्वामी गुरु देवेशवराश्रम महाराज के चतुर्थ निर्वाण महोत्सव पर आयोजित श्रीमद भागवत कथा सप्ताह के समापन अवसर साधु संतो द्वारा बृहमलीन स्वामी को श्रद्धा सुमन अर्पित कर नमन किया गया साथ ही उनके जीवन पर प्रकाश डाला गया। समारोह की अध्यक्षता करते हुए भानु पीठाधीश्वर शंकराचार्य ज्ञानानंद तीर्थ महाराज ने कहा कि प्रकृति का नियम है कोई वस्तु क्षीण होती है,ओर कोई बढ़ती है। किन्तु मंत्र मूर्ती माला कभी क्षीण नहीं होती हैं। प्रत्येक का अपना व्यवहार होता है सूर्य का स्वभाव उषणता का है। चन्द्रमा का शीत व जल का निर्मल है।संतो का स्वभाव जगत कल्याण का होता है। हमें वैद पद्धति पर वापस लौटना होगा। अन्यथा जीवन मे विकार बढ़ते रहेंगे। पहले घरों में अग्नि रखी जाती थी। अब अग्नि संभाली नहीं ज...