मुजफ्फरपुर, मार्च 9 -- मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। बीआरएबीयू के राजनीति विज्ञान विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. भारती सेहता ने वाराणसी में सात से नौ मार्च तक आयेाजित तीसरे बनारस लिटरेचर फेस्टिवल में भाग लिया। इसमें उन्होंने 'भूमंडलीकरण के 35 साल : साहित्य और समाज के बदलते रिश्ते विषय पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि भूमंडलीकरण 35 साल पहले शुरू हुआ। हमारे यहां वसुधैव कुटुंबकम की परंपरा बहुत पुरानी है। औपनिवेशिक काल में जिस तरह से ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने पूंजी बाजार का विस्तार किया, हम भूमंडलीकरण की शुरुआत वहां से भी देख सकते हैं। डॉ. सेहता ने भूमंडलीकरण से पर्यावरण पर आए दुष्प्रभावों के ऊपर भी चिंता व्यक्त की। भूमंडलीकरण के बाद भारतीय समाज, जो एक कम्युनिटी आधारित समाज था, मास सोसाइटी में तब्दील हो गया। इस मास सोसाइट...
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