कोच्चि, सितम्बर 20 -- केरल हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी में कहा है कि यदि कोई मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नियों का भरण-पोषण करने में आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है और उसकी पत्नी अदालत में गुजारा भत्ता मांगने के लिए पहुंचती है, तो ऐसी स्थिति में उस पुरुष के एक से अधिक विवाह को स्वीकार नहीं किया जा सकता। यह टिप्पणी जस्टिस पी.वी. कुन्हीकृष्णन ने एक 39 वर्षीय महिला की याचिका पर सुनवाई के दौरान की। महिला पेरिंथलमन्ना की रहने वाली है और अपने पति से 10,000 रुपये मासिक गुजारा भत्ता मांग रही थी। महिला का 46 वर्षीय पति पलक्कड़ के कुम्बदी का निवासी है और भीख मांगकर अपना गुजारा करता है।पूरा मामला समझिए इससे पहले, याचिकाकर्ता ने फैमिली कोर्ट में गुजारा भत्ता की मांग की थी, लेकिन फैमिली कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि एक भिखारी को गुजारा भत्...