नई दिल्ली, नवम्बर 2 -- नई दिल्ली, मदन जैड़ा। सीएमएस-3 उपग्रह को पृथ्वी की भू स्थैतिक कक्षा (जीटीओ) में भेजकर इसरो ने एक बड़ी सफलता हासिल कर ली है। चांद और मंगल पर पहुंच चुके इसरो को अब तक भारी उपग्रहों (4 हजार किग्रा से ज्यादा वजनी) के प्रक्षेपण की क्षमता हासिल नहीं थी, जो अब हासिल हो गई है। इसके लिए बनाया गया इसरो का राकेट एलवीएम-3 (बाहुबली) पूरी तरह से सफल हो गया है। इस सफलता से इसरो को हर साल अरबों रुपये की बचत होगी, जो उसे भारी उपग्रहों को यूरोप से लॉन्च करने पर खर्च करनी पड़ती थी। भारी उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए इसरो लंबे समय से जीएसएलवी मार्क-3 को विकसित कर रहा था। लेकिन इसके कई मिशन फेल हुए। करीब एक दशक पहले इसरो ने इस परियोजना को नए सिरे से आरंभ किया। जीएसएलवी का नाम बदलकर लॉन्च व्हीकल मार्क-3 किया। पहले इसकी तीन विकासात्मक उड़ा...