मेरठ, मार्च 24 -- मेरठ। महाभारत में भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया ज्ञान हो या बात फिर संजय द्वारा पूरे युद्ध के आंखों देखे वर्णन की। भारत में केवल सुनकर याद करने की लंबी परंपरा हो या भरत मुनि का नाट्य शास्त्र। भारतीय संत परंपरा और इनके बीच का आध्यात्मिक संचार तो अपने आप में अनूठा है। लोककला, लोक नृत्य भी भावनाओं के वाहक हैं। इन सभी में संचार के गूढ़ रहस्य छुपे हैं जिन पर शैक्षिक संस्थानों में खुलकर बात नहीं हुई जबकि सनातन समय से भारत में संचार एक सशक्त माध्यम रहा है। चौ.चरण सिंह विवि के पत्रकारिता एवं संचार स्कूल में शनिवार को हुई प्रेस कांफ्रेंस में निदेशक प्रो.प्रशांत कुमार ने उक्त बिंदुओं को उठाते हुए किसी राज्य विवि में पहली बार इन विषयों पर मंथन की बात कही। 27 मार्च को भारतीय ज्ञान तंत्र और मीडिया विषय पर चार सत्रों में उक्त ...