पटना, दिसम्बर 23 -- भारत का सर्वोच्च आध्यात्मिकता एवं दार्शनिक आदर्श एकात्मता है। भारत में धर्म का अर्थ आध्यात्मिकता है। जब व्यक्ति के अंतःकरण में एकात्मता का भाव जागृत होता है, तब उसे यह अनुभूति होती है कि प्रत्येक व्यक्ति के भीतर परमात्मा के रूप में वही आत्मा विद्यमान है जो उसके भीतर है। ये बातें राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खां ने मंगलवार को बिहार लोकभवन के दरबार हॉल में प्रभाकर सिन्हा द्वारा लिखित पुस्तक ट्रांसेडेंटल इकोज: ए स्पिरिचुअल जर्नी ऑफ अ वॉक-इन-सोल का विमोचन करते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि एकात्मता की इस अवस्था को इसी जीवन में प्राप्त किया जा सकता है। एकात्मता के भाव में रहने के कारण ही हमारे ऋषियों ने अपराधियों के लिए भी अपने दरवाजे खुले रखे और उनमें सुधार के प्रयास करते रहे। राज्यपाल ने कहा कि हमारा शरीर नश्वर है, पर हमारे भीतर आत्...