नई दिल्ली, मई 19 -- सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक श्रीलंकाई नागरिक द्वारा जेल की सजा काटने के बाद उसे वापस भेजे जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत दुनिया भर से आए शरणार्थियों को रखने के लिए धर्मशाला नहीं है। जस्टिस दीपांकर दत्ता और के विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि क्या भारत दुनियाभर से आए शरणार्थियों को रखने के लिए है? हम पहले से ही 140 करोड़ की आबादी से जूझ रहे हैं। यह कोई धर्मशाला नहीं है, जहां हम हर जगह से आए विदेशी नागरिकों को रख सकें। सुप्रीम कोर्ट मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें एक श्रीलंकाई तमिल नागरिक को यूएपीए के तहत सात साल की जेल की सजा पूरी करने के तुरंत बाद भारत छोड़ने का निर्देश दिया गया था। उसने निर्वासन से ...