सुल्तानपुर, मार्च 11 -- सूरापुर। संवाददाता हमें सत्कर्म तत्काल करना चाहिए और संघर्ष को कल पर टाल देना चाहिए।भगवान अपने दास की मुक्ति बाद में करते हैं किन्तु दासानुदास की मुक्ति पहले करते हैं।भारतीय संस्कृति में विवाह एक संस्कार है। यह बातें सूरापुर में डॉ. मदन मोहन मिश्र मानस कोविद के आवास पर आयोजित श्रीद्भागवत महापुराण सप्ताह ज्ञान महायज्ञ के छठवें दिन वृन्दावन से पधारे पं. सुदर्शनाचार्य जी महराज व्यासपीठ से कहीं। रूक्मिणी विवाह की चर्चा करते हुए व्यास जी ने कहा कि जीव रुपी पिता जब नारायण रुपी वर का चरण धोता है तो अहंकार समाप्त होता है और ममता रुपी बेटी का हाथ समर्पित करता है तो ममता समर्पित हो जाती है तो विवाह के माध्यम से जीव ब्रम्ह का साक्षात्कार हो जाता है। यहां पर नरेंद्र तिवारी, आशुतोष द्विवेदी, विजय नाथ पाठक, प्रमोद मिश्र सहित भार...