सुल्तानपुर, मई 18 -- कुड़वार, संवाददाता भारतीय संस्कृति में विवाह एक संस्कार है। उक्त बातें स्थानीय स्वामी पीतांबर देव हंडिया बाबा आश्रम के प्रांगण में आयोजित श्री मद्भभागवत महापुराण सप्ताह ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिन वाराणसी से पधारे मानस कोविद डा मदन मोहन मिश्र ने व्यासपीठ से कहीं। शनिवार को कथा व्यास ने रूक्मिणी विवाह की चर्चा करते हुए व्यास जी ने कहा कि जीव रुपी पिता जब नारायण रुपी वर का चरण धोता है तो अहंकार समाप्त होता है और ममता रूपी बेटी का हाथ समर्पित करता है तो ममता समर्पित हो जाती है। विवाह के माध्यम से जीव ब्रम्ह का साक्षात्कार हो जाता है। हमें सत्कर्म तत्काल करना चाहिए और संघर्ष को कल पर टाल देना चाहिए। गज ग्राह प्रसंग की चर्चा करते हुए कहा कि भगवान अपने दास की मुक्ति बाद में करते हैं किन्तु दासानुदास की मुक्ति पहले करते हैं । ...