गढ़वा, सितम्बर 23 -- गढ़वा, प्रतिनिधि। श्रीराम का चरित्र भारतवर्ष के लिये नया नहीं है। हजारों वर्षों से रामकथा भारतीय समाज में कही-सुनायी जा रही है। बावजूद रामकथा की प्रासंगिकता आज भी उतनी ही बनी हुई है। बदलते समय में भारतीय समाज में भोगवादी संस्कृति हावी हो रही है और संयुक्त परिवार की बजाय एकल परिवार का चलन बढता जा रहा है। त्याग, समर्पण और प्रेम के अभाव में परिवार तेजी से बिखर रहा है तब रामकथा की प्रासंगिकता और बढ़ जाती है। भारतीय संस्कृति में भगवान राम सबसे बड़े आदर्श हैं। यह बात गायत्री परिवार के विनोद पाठक ने कही। वह सोमवार शाम शारदीय नवरात्रि के अवसर पर गायत्री शक्तिपीठ कल्याणपुर में आयोजित श्रीराम कथा के प्रथम दिन बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि आधुनिक काल में संत तुलसीदास ने श्रीरामचरित मानस के माध्यम से हमारे बीच श्रीराम के चरित्र को ब...