उन्नाव, नवम्बर 1 -- सुमेरपुर। सुमेरपुर छांछीराईखेडा स्थित लोटस कान्वेंट स्कूल में बैसवाड़ा ब्राह्मण उत्थान समिति के बैनर तले देवोत्थानी एकादशी पर चतुर्दश विश्व वैदिक सम्मेलन और सामूहिक उपनयन संस्कार का आयोजन किया गया। शास्त्रोक्त विधि से 104 बटुकों का उपनयन संस्कार किया गया। उन्हें गायत्री मंत्र की दीक्षा भी दी गई। महाराष्ट्र में नागपुर से पधारे स्वामी प्रज्ञानानंद सरस्वती ने जनेऊ धारण करने के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में भगवान के पास वास करना उपवास है, जबकि भगवान की ओर दृष्टि ही उपनयन संस्कार है। भगवान के नजदीक बैठना उपासना है। अध्यात्म की यात्रा गत्वा अर्थात जाने से शुरू होती है। प्यासे को नदी के पास जाना होता है। गीता का पहला अध्याय ही विषाद योग है, बिना विषाद के जीवन में प्रसाद नहीं मिलता। कहा कि सनातन धर्मी धर्...