हरिद्वार, दिसम्बर 4 -- हरिद्वार। बैरागी कैंप में आयोजित समारोह के अध्यक्ष जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति की जड़ें गुरु-शिष्य परंपरा में हैं। गुरु कुम्हार है और शिष्य कुंभ। गुरु बाहर से थपकी और भीतर से सहारा देकर जीवन को आकार देता है। माता-पिता, गुरु और ईश्वर-ये सनातन संस्कृति की एक ही धारा हैं। उन्होंने कहा कि गायत्री परिवार ने इन मूल्यों को दैनिक जीवन में उतारने का कार्य किया है, जो सामाजिक और आध्यात्मिक चेतना को सशक्त बनाता है। उन्होंने भावुक होकर श्रीराम शर्मा और माता भगवती देवी को याद कर कहा कि मथुरा से यात्रा शुरू हुई और हिमालय से होकर पूरे विश्व में प्रवाहित हो रही है। शांतिकुंज गायत्री परिवार को शुरू से बढ़ते हुए देखा है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म 4 अरब 32 करोड़ वर्ष पुराना है और इसे ब...