गोरखपुर, सितम्बर 7 -- गोरखपुर, निज संवाददाता। गोरखनाथ मंदिर में महंत दिग्विजयनाथ की 56वीं और महंत अवेद्यनाथ की 11वीं पुण्यतिथि पर आयोजित सप्तदिवसीय संगोष्ठी के दूसरे दिन शनिवार को भारत की ज्ञान परंपरा विषय पर गहन विमर्श हुआ। विद्वानों ने कहा कि भारत की हजारों वर्षों पुरानी ज्ञान परंपरा ही हमारी सभ्यता और संस्कृति की रीढ़ है, जिसे पुनर्जीवित करना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। मुख्य वक्ता महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी (बिहार) के पूर्व कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि ऋग्वेद से लेकर उपनिषदों तक भारतीय ज्ञान परंपरा में पूरे विश्व के कल्याण की भावना समाहित है। उन्होंने उदाहरण दिया कि कोरोना काल में भारत ने वैक्सीन उन देशों तक भी भेजी जिनसे राजनयिक संबंध तक नहीं थे। यही हमारी परंपरा की विश्व बंधुत्व की सोच है। उन्होंने कह...
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