विकासनगर, दिसम्बर 3 -- चूड़ेश्वर सेवा समिति की ओर से कालसी रामलीला मैदान चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन बुधवार को राजा परीक्षित की कथा का श्रवण कराया गया। कथा वाचक ने बताया कि किस प्रकार धर्मनिष्ठ और प्रजापालक राजा परीक्षित ने क्रोधवश शमीक ऋषि के गले में मृत सर्प डाल दिया। इस घटना के बाद ऋषि पुत्र शृंगी ने उन्हें सात दिन में तक्षक नाग के काटने का श्राप दे दिया। कहा कि यही श्राप आगे चलकर राजा परीक्षित के मोक्ष का कारण बना और भागवत कथा श्रवण का आधार बना। कथा के दौरान शुकदेव जी महाराज के प्रादुर्भाव का वर्णन हुआ। कथा वाचक महेंद्र कृष्ण बेलवाल ने बताया कि शुकदेव जी गर्भ से ही ब्रह्मज्ञान प्राप्त कर चुके थे और जन्म लेते ही गृह त्याग कर वन चले गए। यह प्रसंग वैराग्य और आत्मज्ञान की चरम अवस्था को दर्शाता है। बालक ध्रुव की कथा सुनाते हुए कह...