सहरसा, नवम्बर 4 -- महिषी, एक संवाददाता। लोक आस्था और पारिवारिक स्नेह का प्रतीक पर्व सामा-चकेबा को लेकर पूरे प्रखंड के गांव-गांव में उत्साह का माहौल है। आगामी 5 नवम्बर को मनाए जाने वाले इस पर्व की तैयारी अभी से जोरों पर है। ग्रामीण इलाकों में शाम ढलते ही महिलाओं और युवतियों की टोली सामा-चकेबा के गीतों से पूरे वातावरण को गुंजायमान कर रही है। छठ पर्व के खरना के दिन से ही बहनें इस पर्व की शुरुआत करती हैं। मिट्टी से सामा, चकेबा, चुगला, तोता, सुगा, धौकली, ढोलिया सहित दर्जनों प्रतिमाओं का निर्माण किया जाता है। ये मूर्तिया सिर्फ मिट्टी की नहीं, बल्कि लोक संस्कृति और भाई - बहन के अटूट प्रेम की प्रतीक होती हैं। माना जाता है कि जैसे रक्षाबंधन और भ्रातृद्वितीया पर्व भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करते हैं, वैसे ही सामा-चकेबा उस प्रेम को लोक परंपरा और गीत...