हल्द्वानी, सितम्बर 3 -- नीरज जोशी, भवाली। नगर में मां नंदा-सुनंदा की पूजा अर्चना की शुरुआत 1920 से शुरू हुई थी। आजादी के बीस वर्ष बाद यानी 1967 में इसे भव्य रूप देने की पहल की गई। यानी क्षेत्र का नंदा-सुनंदा महोत्सव अब 105 साल का हो चला है। भवाली में पहले टिन की छत का मंदिर था। जहां नदाष्टमी व अन्य दिनों में पूजा की जाती थी। इसके बाद मंदिर की स्थापना का संकल्प लेकर भव्य रूप देने की बंगाली मूल के बाबा की कोशिश सफल नहीं हो सकी। बाद में लोगों के सहयोग से मंदिर बना और नदाष्टमी पर लगने वाले मेला व्यापक हो गया। देवी मंदिर पुजारी स्व. केशव दत्त कपिल, स्व. प्रेम सिंह बिष्ट, स्व. लक्ष्मी दत्त जोशी का इसमें विशेष योगदान रहा। बंशीधर कंसल भी मेले को लेकर हमेशा सक्रिय रहे। बताते हैं कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हीरालाल साह व अन्य ने पशु बलि बंद करवाकर...