गुमला, फरवरी 16 -- भरनो। कभी सौ रुपये प्रति किलो बिकने वाला टमाटर अब पांच रुपये किलो भी लेने वाला कोई नहीं है। ऐसे में भरनो प्रखंड के किसान अपनी मेहनत से उगाई गई फसल को खेतों में ही सड़ने के लिए छोड़ने को मजबूर हैं। पूर्व मुखिया मुकेश उरांव ने तीन एकड़ में टमाटर की खेती की थी। इसके लिए उन्होंने लगभग 3 लाख रुपये खर्च किए। अब जब फसल तैयार हो चुकी है, तो बाजार में मूल्य गिरने के कारण वह इसे तोड़कर बेचने में असमर्थ हैं। पूरा खेत लाल टमाटरों से भरा पड़ा है,लेकिन उन्हें भगवान भरोसे छोड़ना पड़ रहा है। उन्होने यह भी बताया कि टमाटर तोड़ने के लिए मजदूरों (रेजा) की जरूरत होती है। जिनकी मजदूरी 250 से 300 रुपये प्रतिदिन है। यदि 10 मजदूरों को लगाया जाए ,तो एक दिन में ढाई हजार रुपये का खर्च आएगा, जबकि टमाटर की बिक्री से मात्र पांच रुपये ही मिलेंगे। ऐसे ...