सिद्धार्थ, मार्च 19 -- भनवापुर, हिन्दुस्तान संवाद। भनवापुर क्षेत्र के हटवा गांव में चल रहे नौचंडी महायज्ञ के सातवें दिन सोमवार की रात कथा व्यास राजकुमार शरणानंद ने श्रद्धालुओं को राम-भरत मिलाप की कथा सुनाई। कथा सुन श्रद्धालु भावुक हो गए। कथावाचक ने कहा कि जब भगवान श्रीराम को 14 वर्षों का वनवास हुआ और यह बात भरत को पता चली तो वह सब कुछ छोड़ कर भाई राम को लेने चित्रकूट पहुंच गए। उनके साथ अयोध्या के राजपरिवार के सदस्य, राजगुरु, मंत्री व माता सीता के पिता राजा जनक व मां सुनैना भी गई थीं। चित्रकूट में प्रभु राम, सीता और लक्ष्मण एक कुटिया बनाकर रह रहे थे। वही उनका भरत से मिलन हुआ। इसके बाद जब भरत ने अयोध्या लौटने का आग्रह किया तो राम ने मना कर दिया। भरत अपने भाई राम से अधिक प्रेम के कारण क्षमा मांगते हुए अयोध्या का राज सिंहासन उन्हें देने की बा...