रिषिकेष, अक्टूबर 29 -- अठूरवाला सांस्कृतिक मंच समिति की ओर से रामलीला के पांचवें दिन भरत-कैकयी संवाद और केवट प्रसंग का मंचन किया गया, जिसे देखकर दर्शक भावविभोर हो गए। मंगलवार रात अठूरवाला में रामलीला का शुभारंभ हरिद्वार से पधारे राजराजेश्वरी जगद्गुरु शंकराचार्य महाराज ने किया। उन्होंने कहा कि रामायण केवल कथा नहीं, बल्कि जीवन जीने का आदर्श है, जहां हर पात्र एक प्रेरणा बनकर उभरता है।भाजपा प्रदेश महामंत्री दीप्ति रावत ने कहा कि अठूरवाला की रामलीला हमारी संस्कृति और भक्ति की जीवंत मिसाल है, जिसने जनमानस को एक सूत्र में पिरोया है। रामलीला मंचन का सबसे भावनात्मक क्षण तब आया जब भरत और माता कैकयी का संवाद हुआ। जब भरत ने अश्रुपूर्ण नेत्रों से कहा "माता, आपने जो किया, वह राज नहीं, मेरे जीवन का वनवास है, तो पूरा पंडाल सन्नाटे में डूब गया। दर्शकों की...