जौनपुर, नवम्बर 6 -- खुटहन, हिन्दुस्तान संवाद। आदर्श रामलीला धर्ममंडल उसरौली शहाबुद्दीनपुर के कलाकारों ने मंगलवार को राम को मनाने का मंचन किया। भरत का त्याग और निश्छल प्रेम देख दर्शकों की आंखें छलक पड़ीं। जब वह गुरु और माताओं के साथ सिर पर राम के द्वारा दी गई खड़ाऊ को सिर माथे पर रख अश्रुपूरित नेत्रों से वापस अयोध्या लौटने लगे, इस दृश्य को देख दर्शक अपने आशुओं को नहीं रोक सके। वन से श्रीराम को वापस अयोध्या लाने के लिए भरत हर संभव तरीके से भगवान को मनाते हैं। लेकिन भगवान पिता के बचनो के आगे खुद को असमर्थ बताते हैं। राम कर्तव्य और मर्यादा की सीमा हैं तो भरत त्याग और निश्छल प्रेम की परिसीमा। जब प्रेम पराकाष्ठा में अनन्य भक्ति का रूप धर लेता है तो सारे बंधन तोड़ स्वयं ईश्वर को भक्त के पास भागकर आना पड़ता है। वहीं राम मर्यादा और धर्म के शिखर है...