नई दिल्ली, नवम्बर 25 -- सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वह देश भर में भड़काऊ भाषण की हर घटना पर कानून बनाने या उसकी निगरानी करने के लिए तैयार नहीं है। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस तरह की घटना से निपटने के लिए कानूनी उपाय, पुलिस स्टेशन और हाईकोर्ट पहले से ही मौजूद हैं। जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने मुस्लिम ‌समुदाय के सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार के कथित आह्वान का मुद्दा उठाने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। जस्टिस नाथ ने कहा कि हम इस याचिका की आड़ में कानून नहीं बना रहे हैं। निश्चिंत रहें, हम इस देश के किसी भी इलाकों में होने वाली हर छोटी घटना पर कानून बनाने या उसे निगरानी करने के लिए तैयार नहीं हैं क्योंकि इससे निपटने के लिए कानून, थाने और हाईकोर्ट पहले से ही कानूनी उपाय मौजूद हैं। मामले की सुनवाई शुरू होने पर प...