रांची, मार्च 19 -- रांची, वरीय संवाददाता। भगवान श्रीराम का जन्म एक युग परिवर्तन का प्रतीक है। उनका जन्म न केवल अयोध्या बल्कि, सम्पूर्ण धरती के लिए सुख, शांति और धर्म की स्थापना के लिए हुआ था। जब असुरों के अत्याचार और अधर्म ने समाज को तहस-नहस कर दिया तब श्रीराम के जन्म ने न केवल धर्म की विजय का मार्ग प्रशस्त किया, बल्कि मानवता के उच्चतम आदर्शों को भी प्रस्तुत किया। मानवीय मूल्यों पर वही खरा उतरता है, जो मानवीय मर्यादा के पटल पर उज्ज्वल होता है। श्रीराम ने अपने मित्र, प्रजा और बंधु-बांधवों से तो मर्यादा की परंपरा को माना ही, शत्रु के साथ भी कोई अमर्यादित आक्षेप नहीं किया। श्रीराम करुणा, दया, त्याग, शौर्य और पराक्रम की प्रतिमूर्ति हैं। श्रीराम की उपाधि मर्यादा की है। उक्त बातें हुटुप गौशाला धाम में आयोजित श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ में तीसरे दिन...