हरिद्वार, सितम्बर 1 -- उदासीन संप्रदाय के प्रवर्तक भगवान श्रीचंद्र जी का 531वां अवतरण दिवस पर सोमवार को कनखल के श्री पंचायती उदासीन बड़ा अखाड़ा राजघाट में पंचदेव पूजा और हवन किया गया। इसके साथ ही श्रीचंद्राचार्य चौक पर उनके विग्रह का पूजन किया गया। सोनीपत के सांसद सतपाल ब्रह्मचारी ने कहा कि सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में उदासीन संप्रदाय और पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा का योगदान अविस्मरणीय है। यह परंपरा समाज को एकजुट करने का कार्य करती आई है। कोठारी महंत राघवेंद्र दास महाराज ने कहा कि भगवान श्रीचंद्र ने समाज में व्याप्त विषमताओं को दूर कर सामाजिक समरसता का संदेश दिया। कारोबारी महंत गोविंद दास महाराज ने बताया कि उदासीन यानी ब्रह्मा में आसीन होना, समाधिस्थ रहना। अखाड़ा सनातनी पंचदेव पूजा का उपासक है और परंपराओं का निर्वाह करता है।
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