मुजफ्फरपुर, नवम्बर 4 -- बंदरा, एक संवाददाता। कथावाचक कमलेशजी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मिणी विवाह, सत्यभामा विवाह का प्रसंग सुनाया। बताया कि वेदों के मंत्र ही मूर्तिमंत होकर भगवान के साथ परिणय सूत्र में बंधे। कथा ब्यास ने सुदामा चरित्र, परीक्षित मोक्ष की भी कथा सुनाई। सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहा की सुदामा और कृष्ण की कथा मित्रता के आदर्श और भगवान की कृपा का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। सुदामाजी ने जीवन में किसी से कुछ नहीं मांगा, सदैव भगवान के कीर्तन में लगे रहे। इसके साथ ही मतलुपुर स्थित बाबा खगेश्वरनाथ महादेव मंदिर में आयोजित सप्तदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ का मंगलवार को समापन हो गया। इस मौके पर पूर्व कुलपति डॉ. गोपालजी त्रिवेदी, विनय पाठक, राजन झा, अमृतेश कुमार, अनमोल झा, रजनीश पांडेय आदि मौजूद थे।

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