देवघर, जून 12 -- चितरा प्रतिनिधि सत्संग के बिना मनुष्य को विवेक नहीं मिल सकता है। जब तक सत्संग नहीं करोगे, तब तक जीवन में भटकाव बना रहेगा और विवेक नहीं जागेगा। यह उद्गार कथा वाचक शशिकांत ने व्यक्त किया। वह एसपी माईंस चितरा कोलियरी स्थित दुखिया बाबा मंदिर प्रांगण में आयोजित नौ दिवसीय श्रीश्री 1008 महारुद्र यज्ञ के छठे दिन मुख्य पंडाल में श्रद्धालुओं को शिव महापुराण की अमृतमयी कथा सुना रहे थे। कथा के दौरान कहा कि आजकल पवित्र रिश्तों में भी दरार आ रही है। यदि पत्नी सत्संगनिष्ठ हो, तो पति की हत्या जैसे जघन्य अपराध नहीं होंगे। कहा कि, भोलेनाथ से सरल और उदार कोई देवता नहीं, जो भी उनसे श्रद्धा से मांगा जाए, तथास्तु कह देते हैं। वह भक्तों पर कब कृपा कर दें, पता भी नहीं चलता। उन्होंने जीवन की नश्वरता पर प्रकाश डालते हुए कहा, इस शरीर को चाहे जितना ...