अयोध्या, सितम्बर 6 -- अयोध्या। भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी के पर्व को अनंत चतुर्दशी के रूप में श्रद्धापूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर उमड़े श्रद्धालुओं ने मां सरयू के पुण्य सलिल में डुबकी लगाई। पुनः श्रीरामजन्म भूमि में विराजमान रामलला सहित हनुमानगढ़ी व कनक भवन में भगवान का दर्शन-पूजन किया। इसके साथ ही घरों में भी भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप का ध्यान कर उनका पूजन किया गया और 14 गांठों वाली अनंता को श्रद्धालुओं ने अपनी दाहिनी भुजा पर धारण किया। आचार्य कामेश मणि पाठक कहना है कि इस दिन भगवान विष्णु ने सृष्टि की शुरुआत में चौदह लोकों तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भू, भुवः, स्वः, जन, तप, सत्य, मह की रचना की थी। इन लोकों की रक्षा और पालन के लिए भगवान विष्णु स्वयं भी चौदह रूपों में प्रकट हुए थे, जिससे वे अनंत प्रतीत होने लगे। यही कारण है कि ...