अरविंद स्वर्णकार। तमाड़, सितम्बर 30 -- प्रखंड में स्थित प्राचीन कालीन सोलहभुजी दिउड़ी मंदिर में झारखंड ही नहीं देश के अन्य हिस्सों से श्रद्धालु माता का दर्शन आते हैं। यहां झारखंड, बिहार, बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के अतिरिक्त अन्य राज्यों से श्रद्धालु पहुंचते हैं। शारदीय नवरात्र में नौ दिनों तक यहां विशेष पूजा-अर्चना आयोजित की जाती है। यहां नवमी की पूजा के बाद सैकड़ों बकरे के साथ भैंसा की बलि दी जाती है। मंदिर के पुजारी मनोज पंडा ने बताया दशमी को दो अक्तूबर होने के चलते इस बार दशमी के दिन बलि नहीं चढ़ाई जाएगी। उन्होंने भक्तों से आग्रह किया है कि नवमी के दिन ही सभी लोग बलि प्रथा समाप्त कर दें।राज परिवार की कुलदेवी हैं सोलहभुजी मां प्राचीन मान्यता के अनुसार, 12वीं सदी मंदिर भगवान विश्वकर्मा ने स्वयं बनाया था। कहा जाता है कि तमाड़...