नई दिल्ली, सितम्बर 8 -- भारतीय संस्कृति में पितरों की तृप्ति और मोक्ष के लिए पिंडदान का अत्यधिक महत्व माना गया है। ये सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि श्राद्ध और तर्पण की उस परंपरा का हिस्सा है जो पीढ़ियों से चली आ रही है। पुराणों में पिंडदान के लिए कई पवित्र स्थानों का उल्लेख मिलता है, लेकिन इनमें सबसे प्रमुख और सर्वोच्च स्थान गया को प्राप्त है। ऐसी मान्यता है कि स्वयं भगवान श्रीराम भी इसी गया तीर्थ पर अपने पिता चक्रवर्ती महाराज दशरथ के लिए पिंडदान करने आए थे। तभी से गया को पिंडदान का मुख्य तीर्थ माना जाता है और आज भी हर साल यहां लाखों श्रद्धालु अपने पितरों के लिए पिंडदान करने पहुंचते हैं। चलिए जानते हैं पिंडदान से जुड़े इस प्रमुख स्थल से जुड़ी कुछ खास बातें-गया तीर्थ का महत्व है बहुत ज्यादा गया को पितृपक्ष का सबसे बड़ा तीर्थ कहा गय...