बेगुसराय, फरवरी 18 -- नावकोठी, निज संवाददाता। एपीएस उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के खेल मैदान में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा आयोजित श्रीरामचरितमानस एवं गीता ज्ञान यज्ञ के पांचवें व अंतिम दिन आशुतोष महाराज के शिष्य स्वामी यादवेन्द्रानंद ने कहा कि पूर्ण गुरु नर रूप में श्रीहरि होते हैं। ऐसे गुरु का आह्वान होता है उत्तिष्ठत, जाग्रत, प्राप्य वरान्नि बोधत अर्थात उठो जागो और लक्ष्य को प्राप्त करो। उन्होंने कहा कि जर्रे-जर्रे में है झांकी भगवान की किसी सूझ वाली आंख ने पहचान की। भगवान दिव्य हैं तो उनके दर्शन के लिए दिव्य दृष्टि भी चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण के समक्ष ही अर्जुन खड़े थे फिर भी उन्हें तत्वदर्शी गुरु की शरण में जाने को प्रेरित करते हैं। यह प्रसंग बताता है कि यदि ईश्वर को प्राप्त करना है तो तत्वदर्शी गुरु के सान्निध्य में जाना होगा। मी...