धनबाद, नवम्बर 13 -- धनबाद, मुख्य संवाददाता। हीरापुर के झारखंड मैदान में सात दिवसीय प्रवचन शृंखला के तीसरे दिन बुधवार को कथावाचक नीलमणि जी ने आध्यात्मिक उपदेश देते हुए प्रमुख रूप से महापुरुष तत्वों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शास्त्रों से ज्ञात हुआ कि भगवान की कृपा से भगवान को जाना जा सकता है। वह भगवत कृपा भी किसी शर्त पर आधारित है और वह है शरणागति। अब प्रश्न आया कि हमें किसकी शरण में जाना होगा। सर्वप्रथम तो ग्रंथों से यह पता चला कि एक श्रेत्रीय ब्रह्मनिष्ठ महापुरुष की शरण में जाकर ही उनकी कृपा द्वारा कोई उस परमतत्व को जान सकता है। और जैसी भक्ति भगवान के प्रति हो, वैसी ही परा भक्ति यदि किसी जीव की अगर गुरु के प्रति हो जाए तो ऐसा जीव उस वेदांत प्रकाशित ब्रह्म का ज्ञान प्राप्त कर सकता है।

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