लखनऊ, सितम्बर 11 -- लखनऊ, संवाददाता। आशियाना के चांसलर क्लब में आयोजित सात दिवसीय श्रीराम कथा के चौथे दिन गुरुवार को कथा व्यास महामंडलेश्वर स्वामी अभयानंद सरस्वती जी महाराज ने बाली-सुग्रीव और मित्रता के प्रसंग को सुनाया। उन्होंने कहा कि सुग्रीव सूर्य का अंश है। वह ज्ञानवृत्ति का पोषक है। वहीं बाली इंद्र का अंश है, इंद्र भोग वृत्ति के प्रतीक हैं। जब भोगवृत्ति (बाली) में ज्ञानवृत्ति (सुग्रीव) सहायता नहीं करती है तो बाली यानी भोग उसे लात मार कर बाहर कर देता है। महाराज जी ने कहा कि जब रावण अपहरण कर माता सीता जी को लंका ले जा रहा था तब मां सीता ने अपने आभूषण पर्वत पर गिराये। सुग्रीव, नल, नील, जामवन आदि ने देखा था और उसे रख लिया था। वहीं जटायु जी ने अपने सामर्थ्य भर रावण से संघर्ष किया और बुरी तरह घायल हो गये। लेकिन सुग्रीव ने संघर्ष नहीं किया।...