मदुरै, दिसम्बर 23 -- मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै पीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि भगवद गीता को विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (FCRA) के उद्देश्यों के लिए धार्मिक ग्रंथ नहीं माना जा सकता। इसलिए, केवल गीता और योग की शिक्षा देने के आधार पर किसी ट्रस्ट को FCRA पंजीकरण से वंचित नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति जी.आर. स्वामीनाथन की एकल पीठ ने अर्श विद्या परम्परा ट्रस्ट की याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय के उस निर्णय को रद्द कर दिया, जिसमें ट्रस्ट का FCRA पंजीकरण अस्वीकार किया गया था। कोर्ट ने पाया कि अस्वीकृति आदेश अपर्याप्त तर्क और प्रक्रियात्मक खामियों पर आधारित था। कोर्ट ने गृह मंत्रालय को ट्रस्ट के आवेदन पर तीन महीने के अंदर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया है। यदि फंड ट्रांसफर का कोई ठोस सबूत हो, तो नया विस्तृत नोटिस जा...