संतकबीरनगर, मार्च 8 -- सन्तकबीरनगर, निज संवाददाता। उतरावल में भागवत कथा का श्रवण कराते हुए कथा व्यास आचार्य धरणीधर ने कहा कि संसार में जीवों के श्रेय का मुख्य साधन और समस्त शास्त्रों का सार यही है कि मनुष्यों की श्री कृष्ण में निश्छल भक्ति हो तो इससे ज्ञान और वैराग्य शीघ्र ही प्राप्त हो जाते हैं। धर्म का अनुष्ठान करने पर भी यदि भगवान की कथा में रुचि नहीं हुई तो केवल परिश्रम हाथ लगता है, अन्य कुछ नहीं। उन्होंने कहा कि संसार में धर्म का प्रयोजन मोक्ष है अर्थोपार्जन नहीं। अर्थ का प्रयोजन भी धर्मोपार्जन है। विषय सुख नहीं। विषय भी शरीर के निर्वाहार्थ है। इंद्रियों की तृप्ति उनका प्रयोजन नहीं है। संसार में तत्व की जिज्ञासा ही जीव का प्रयोजन है। केवल कर्म जाल में फंसा रहना नहीं। तत्व भगवान श्री कृष्ण ही है, इसलिए सर्वदा निश्छल मन से उनका श्रवण, ...