जौनपुर, नवम्बर 5 -- सतहरिया, हिन्दुस्तान संवाद। विंध्याचल धाम से आए विंध्यवासिनी महाराज ने कथा सुनाया। कहा कि भगवत कथा सुनने से शरीर के अंदर व्याप्त कुविचारों को दूर करने में मदद मिलती है। उसमें सुनने की क्षमता ही भगवान भक्ति और दर्शन में सहज मार्ग है। यह बातें उन्होंने जंघई रोड के स्टेशन गली में स्थित मौर्या बस्ती में चल रहे भगवत कथा में मंगलवार को कहे। उन्होंने हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद के प्रसंग को बड़े भावपूर्ण ढंग से सुनाया। बताया कि प्रहलाद विष्णु भक्त थे। उनको भगवान की भक्ति में पूर्ण विश्वास था। उनको मां की गर्भ में ही महर्षि नारद ने ज्ञान और भक्ति मार्ग की शिक्षा दिया था। उनके पिता हिरण्यकश्यप को भक्ति मार्ग प्रसन्न नहीं था। कारण था कि उनके पिता स्वयं को भगवान मानते थे। उन्होंने प्रहलाद की महिमा का गुणगान करते हुए कहा कि जब हिरण्यक...