सुल्तानपुर, मार्च 6 -- गोसाईंगंज,संवाददाता रायपुर सरतेजपुर में भागवत कथा के तीसरे दिन पं. मनीष चन्द्र त्रिपाठी ने भक्त प्रह्लाद और ध्रुव प्रसंग का वर्णन किया। जिसे सुनकर श्रोता भाव विभोर हो उठे। गुरुवार की कथा में व्यास मनीष चंद्र त्रिपाठी ने कहा कि अहंकार के वशीभूत होकर राजा हिरण्यकश्यप अपने को भगवान मानने लगा था। जब उसके अपने ही बालक भक्त प्रह्लाद ने नारायण की आराधना नही छोड़ी तो उसने बेटे को कई यातनाएं दीं। तमाम यातनाओं के बाद भी भक्त प्रहलाद ने प्रभु की भक्ति नहीं छोड़ी। ध्रुव प्रसंग का वर्णन करते हुए कथा वाचक ने कहा कि पांच साल की अल्पायु में तपस्या के लिए बालक ध्रुव ने घर छोड़ दिया। नारद मुनि ने काफी प्रयास किया कि वह घर लौट जाएं। ध्रुव थे कि उन्हें नारायण के भक्ति की धुन सवार थी। कथा का सार समझाते हुए व्यास ने कहा कि सच्चे मन और दृढ़...