वाराणसी, मई 2 -- वाराणसी, मुख्य संवाददाता। अक्षय तृतीया के अगले दिन गुरुवार को मणिकर्णिका घाट स्थित चक्रपुष्कर्णी कुंड में स्नान कर सनातनियों ने परंपरा का निर्वाह किया। स्नान के लिए सुबह से ही भक्तों की जुटान कुंड पर होने लगी थी। मध्याह्न में मां मणिकर्णिका के विग्रह का पं. जयेंद्रनाथ दुबे 'बब्बू महाराज के आचार्यत्व में विधान पूर्वक उत्तर पूजन किया गया। मान्यता है कि वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर चक्रपुष्कर्णी कुंड में स्नान से सभी ज्ञात अज्ञात पापों का नाश हो जाता है। श्रीकाशी तीर्थ पुरोहित सभा के अध्यक्ष पं. मनीषनंदन मिश्र ने बताया कि पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु ने काशी में अपनी तपस्या पूर्ण होने के बाद आदिकेशव स्वरूप की स्वयं स्थापना करने से पूर्व अक्षय तृतीया के अगले दिन स्वयं इस कुंड में स्नान किया था। उन्होंने वरदान द...
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