पाकुड़, सितम्बर 23 -- प्रखंड मुख्यालय से तीन किलोमीटर दूर काठशाल्ला गांव स्थित दुर्गा मंदिर में अंग्रेजों के शासनकाल से प्रारंभ हुई दुर्गा पूजा अब तक पौराणिक रीति-रिवाज से होती चली आ रही है। दुर्गा मां के इस मंदिर में सच्चे मन से मन्नत मांगने पर अवश्य पूरी होती है। शायद यही वजह है कि काठशाल्ला दुर्गा मंदिर श्रद्धालुओं के आस्था व श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। यहां दुसरे समुदाय के लोग भी मनचाही मुराद पूरी होने पर मां के दरबार में बकरे की बलि चढ़ाकर मां के चरणों में मत्था टेकते हैं। इस मंदिर के बारे में रोचक तथ्य यह है कि शुरु से लेकर करीब 30 वर्ष पूर्व तक यहां दुर्गा पूजा के अवसर पर बकरे की बलि की बजाय एक व्यक्ति अपना सीना चीरकर खून चढ़ाता था, तभी पूजा संपन्न होती थी। सीने से रक्त निकालकर मां के चरणों में अर्पित करने की परंपरा की अंतिम कड़ी ...
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