सहारनपुर, सितम्बर 2 -- दशलक्षण महानुष्ठान के छठे दिन नगर के सभी जैन मंदिरों में "उत्तम संयम धर्म" की पूजा-अर्चना अत्यन्त भक्तिभाव और उत्साह के साथ सम्पन्न हुई। मंगलवार को आयोजित पर्व धूप दशमी अर्थात सुगंध दशमी के रूप में मनाया गया। यह व्रत आत्मा की शुद्धि तथा अशुभ कर्मों के क्षय के लिए माना जाता है। इस अवसर पर समाज के श्रावक-श्राविकाओं ने नगर के सभी मंदिरों में धूप अर्पित कर वातावरण को सुगंधित व स्वच्छ बनाया तथा पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। विमर्श सागर महाराज ने जैन बाग स्थित अतिशयकारी मंदिर श्री वीरोदय तीर्थ मंडपम में प्रवचन देते हुए कहा कि संयम धर्म का अर्थ है हिंसा का त्याग कर अहिंसा धारण करना, सभी प्राणियों के प्रति दया रखना, हितकारी और सत्य वचन बोलना, पर स्त्री/पुरुष के प्रति अब्रह्म का भाव न रखना तथा अनावश्यक परिग्रह का त्याग करन...