नई दिल्ली, जून 27 -- नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। भारत ने किशनगंगा और रातले जल विद्युत परियोजनाओं पर सिंधु जल संधि के तहत अवैध रूप से बने मध्यस्थता न्यायालय के फैसले को खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि अवैध रूप से गठित मध्यस्थता न्यायालय के अस्तित्व को भारत ने कभी भी मान्यता प्रदान नहीं की। भारत का रुख हमेशा से यही रहा है कि इस निकाय का गठन अपने आप में सिंधु जल संधि का उल्लंघन है। इसलिए इसकी कोई भी कार्यवाही तथा निर्णय, अवार्ड पूरी तरह से अवैध और अर्थहीन है। मंत्रालय ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को तब तक के लिए स्थगित करने का फैसला किया है जब तक पाकिस्तान विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय तरीके से सीमापार आतंकवाद को बंद नही कर देता। तब तक भारत संधि के तहत अपने किसी भी दायित्व को पूरा करने के लिए...