हल्द्वानी, मई 19 -- हल्द्वानी। उत्तराखंड राज्य निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले आंदोलनकारी आज भी अपने हक और सम्मान के लिए संघर्ष कर रहे हैं। राज्य गठन को दो दशक से ज्यादा समय बीत चुका है, लेकिन आंदोलनकारियों की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। तीन माह से पेंशन नहीं मिल पाने के कारण आर्थिक तंगी से जूझ रहे ये लोग अब सरकार से जवाब चाहते हैं। न्यूनतम पेंशन में वर्षों से कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई है, जिससे बुजुर्ग आंदोलनकारियों का जीवन यापन मुश्किल हो रहा है। वहीं, उन्हें पूरे देश में रोडवेज पास की सुविधा नहीं मिलती, जो उनकी एक पुरानी मांग रही है। राज्य अतिथि गृहों में मुफ्त ठहरने की सुविधा का वादा भी अभी तक अधूरा है। इतना ही नहीं, यदि कोई आंदोलनकारी उद्योग लगाना चाहता है तो उसे जीएसटी से छूट भी नहीं दी जाती, जिससे स्वरोजगार की राह भी कठिन हो जात...
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