हरदोई, फरवरी 18 -- हरदोई। हम अपनी कला के बल पर लोगों का मनोरंजन करते हैं। अपनी अभिव्यक्ति के माध्यम से समाज को आईना दिखाते हें। रंगमंच एक विधा, एक कला ही नहीं है बल्कि हमारी पूजा, हमारा धर्म और जीवन भी है। स्कूल-कॉलेजों और हॉल में अपनी कला दिखाने का माध्यम है जिसे तन, मन और धन लगाकर सहेजे हैं। यह पीड़ा हरदोई के रंगकर्मियों की है जो समय के साथ-साथ बढ़ती जा रही है। इनका कहना है कि उस दौर में जब उम्मीदें धूमिल होने लगी थीं तब एक लंबे आंदोलन के बाद रसखान प्रेक्षागृह मिला तो लगा जैसे सब कुछ मिल गया पर समय के साथ भ्रम टूटता गया। अब तो अपना प्रेक्षागृह भी बेगाना सा लगता है। पूर्वाभ्यास के लिए घरों, गेस्ट हाउस में जुटना पड़ता है। रसखान प्रेक्षागृह मुफ्त में मिलने की बात कही ताकि संवाद और अभियान की विद्या को जनपद में पुनर्जन्म मिल सके। संसाधन और मंच ...