हरदोई, फरवरी 17 -- हरदोई। परिवहन निगम की बसों के मुकाबले हम कम किराए पर सवारियों को गंतव्य तक पहुंचातेे हैं। हर महीने सरकार को 40 लाख रुपये का टैक्स देते हैं पर हमारी समस्याएं सुनने वाला कोई नहीं। हजारों परिवारों की रोजी-रोटी निजी बसों के सड़कों पर दौड़ने से चल रही है पर सहूलियतें नहीं हैं। हरदोई से लखनऊ जाना हो या सीतापुर या लखीमपुर, यात्रियों को सुरक्षित पहुंचाया हमारा कर्तव्य है। निजी बस मालिकों ने यह दर्द बयां किया है। बस मालिक, ड्राइवर और कंडक्टरों का कहना है कि उनके साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। गुहार लगाने के बाद भी वाजिब सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। गड्ढे, आए दिन चालान, बसें खड़ी करने के लिए उचित स्थल न होने से परेशान होते हैं। हर साल सड़कों पर दौड़ने वाली प्राइवेट बसों की संख्या कम होती जा रही है। हो भी क्यों न, दिक्कतें जो हो रही ...
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